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जब कभी, 'पंछी' पालने का मन हो तो, बरामदे में 'पिंज

जब कभी,
'पंछी' पालने का मन हो
तो,
बरामदे में 'पिंजरा' नहीं,
आँगन मे 'पेड़' लगाना।

क्योंकि,
कूँकने और कराहने में
फ़र्क़ बहुत है।

© कृष्ण कुणाल झा   #firstquotehere #krishnakunaljha #poetrycollection
जब कभी,
'पंछी' पालने का मन हो
तो,
बरामदे में 'पिंजरा' नहीं,
आँगन मे 'पेड़' लगाना।

क्योंकि,
कूँकने और कराहने में
फ़र्क़ बहुत है।

© कृष्ण कुणाल झा   #firstquotehere #krishnakunaljha #poetrycollection