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ग़ज़ल ख्वाहिशें कारवाँ जिंदगी का यूँ ही गुजरता र

ग़ज़ल
ख्वाहिशें 

कारवाँ जिंदगी का यूँ ही गुजरता रहा।
दीवाना  उम्र  एक पड़ाव मांगता रहा ।।

बहारें आयी और जीवन छोटी होती गई।
ख्वाहिशें हर दिन अपना पता खोजता रहा।।

क्या  पाया  क्या  खोया  के  गणित में।
अनगिनत अरमानों के पन्ने जोड़ता रहा।।

नहीं मिला अब तक वो पल जो सुकून दे जाए।
दिल की बेकरारी ठहराव तलाशता रहा।।

कहाँ  कहाँ  हैं  मेरे  वजूद  के  निशान ।
हर चेहरे को अम्बे भीड़ में परखता रहा।।

अम्बिका मल्लिक ✍️

©Ambika Mallik
  #ख्वाहिशें