जिस्मानी दुनिया का इशारा था उड़ न जाए दुपट्टा हवा के तेज़ से, यहाँ मदमस्त थे लोग चारों तरफ तेरे योवन के लबरेज़ से| पैरों तले जमीन खिसके और खिसके दामन बंदेझ से, देखकर बेवफाईयां तेरी यह इश्क़ लगे मुझे चंगेज़ से| देखकर आंखें वह बोली मुझे तो डर लगे रंगरेज़ से, उसने कई रस्मे नई सीखी है कहानियां पढ़कर अंग्रेज से| बार-बार चिल्लाए मुझे कोई तालुकात नहीं सनसनीख़ेज़ से, आंखें पढ़ूँ वो आंखें ना मिलाए लंबा रिश्ता आंखों के परहेज़ से| दखलअंदाजी मैं करूं वहां पर जहां इश्क़ में किस्सा आए दहेज़ से, हावी हो जाएगा तुम पर इस दुनिया का माहौल खुंरेज़ से| कई सुर्खियां बटोरी है उसने जो पुस्तक उठाई तूने मेज़ से, अब भी वक्त है तुम सीख लो "सुशील" के दिए नसीहत-आमेज़ से| जिस्मानी दुनिया का इशारा था उड़ न जाए दुपट्टा हवा के तेज़ से, यहाँ मदमस्त थे लोग चारों तरफ तेरे योवन के लबरेज़ से| पैरों तले जमीन खिसके और खिसके दामन बंदेझ से, देखकर बेवफाईयां तेरी यह इश्क़ लगे मुझे चंगेज़ से| देखकर आंखें वह बोली मुझे तो डर लगे रंगरेज़ से, उसने कई रस्मे नई सीखी है कहानियां पढ़कर अंग्रेज से|