रंजिशों के दौर में मुहब्बत आफत हो गई! सच दिखाया गर जो हमने तो बग़ावत हो गई!! धर्म का ठेका लिए तुमने गुमराह की पीढ़ी कई.. पोल खोली मीडिया ने तो नफ़रत हो गई!! हाथ में डायरी कलम जो "बेखबर" लेकर चला... तो ज़माने ने कहा हमें झूठ की आदत हो गई ! अनुज बेखबर पत्रकार