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वक्त का ये कैसा सफर है... एक वक्त था जब मग्न थी सो

वक्त का ये कैसा सफर है...
एक वक्त था जब मग्न थी सोहरत पाने में,
एक तुझसे जो दिल्लगी की,
 दिल अब यही कहता है कि,
भलाई है गुमनाम हो जाने में,
ना सोचा ना समझा,
क्यों मुहब्बत की अनजाने में।।

©Sapan Kumar
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