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सुन्दर सक्षम अद्भुत नारी लगती है, मेरी वाली कितनी

सुन्दर सक्षम अद्भुत नारी लगती है,
मेरी वाली कितनी प्यारी लगती है।
मैं उसे यूँ ही जन्नत नहीं कहता हूँ,
एक जन्नत, जन्नत से उधारी लगती है।।
आँख झुकाए तो वो सबसे कोमल है,
और आँख उठाए तो वो चिंगारी लगती है।
समुन्दर से गहरी उसकी आँखें, 
शहद से मीठे उसके होंठ,
सुनहरा बदन, रेशमी जुल्फें,
जैसे क़यामत उसके आगे हारी लगती है।
और नहीं है लफ्ज़ उसके लिए,
यार वो खुदा की सबसे खूबसूरत कलाकारी लगती है।।
और इसीलिए मैं उसे जन्नत कहता हूँ।
जैसे एक जन्नत, जन्नत से उधारी लगती है।।

                                          - नवाब साहब

©आयुष #जन्नत
सुन्दर सक्षम अद्भुत नारी लगती है,
मेरी वाली कितनी प्यारी लगती है।
मैं उसे यूँ ही जन्नत नहीं कहता हूँ,
एक जन्नत, जन्नत से उधारी लगती है।।
आँख झुकाए तो वो सबसे कोमल है,
और आँख उठाए तो वो चिंगारी लगती है।
समुन्दर से गहरी उसकी आँखें, 
शहद से मीठे उसके होंठ,
सुनहरा बदन, रेशमी जुल्फें,
जैसे क़यामत उसके आगे हारी लगती है।
और नहीं है लफ्ज़ उसके लिए,
यार वो खुदा की सबसे खूबसूरत कलाकारी लगती है।।
और इसीलिए मैं उसे जन्नत कहता हूँ।
जैसे एक जन्नत, जन्नत से उधारी लगती है।।

                                          - नवाब साहब

©आयुष #जन्नत