White ग़ज़ल लगाकर आग वो कैसे बचे हैं उन्हे ढ़ूँढ़ो कहीं पर वो छुपे हैं मेंरी बस्ती के सब घर जल रहे हैं ताहफ़्फुज़ में मेरे दुश्मन खड़े हैं वही अवक़ात अपनी भूल बैठे हैं जो पौधे सामने फूले फले हैं लगेगी आह उनको इक न इक दिन गरीबों के लहू पर जो पले हैं बनाता मैं नहीं दुश्मन किसी को तरक़्की से मेंरी दुश्मन बने हैं ज़रा अपने गिरेबाँ में वो देखें जो तोहमत हम पे रखते आ रहे हैं तेरी महफिल में जब से आ गया हूँ मेंरे हमराज सब जलने लगे हैं भली थी या बुरी थी छोड़ये भी ज़रा सी बात लेकर क्या पड़े हैं बुराई की तरफ "हरदीन" न जाऐं वहाँ हर राह पर काँटे बिछे हैं चौधरी हरदीन कूकना मकराना, राजस्थान ©CHOUDHARY HARDIN KUKNA #sad_quotes #गजल शेरो शायरी शायरी हिंदी में