सुदूर घाटी मे एक वृक्ष का एक पत्ता भी हिलता हैँ तो चाँद तारे भी हिलते हैँ एक नन्ही सी घास की पती भी सूरज की किरणों से जुडी हैँ एक कोमल सी कली भी जब लहर का स्पर्श पाती हैँ अनंत दूरी पर आकाश मे खडे तारे भी प्रसन्नता से खिल जाते हैँ सब कुछ सयुंक्त हैँ और इस संयुक्तता का नाम परमात्मा हैँ संयुक्तता.... अर्थात परमात्मा