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भूख नहीं लगती अब तो स्वाद चला गया, अच्छा - खासा म

भूख नहीं लगती अब तो स्वाद चला गया, 
अच्छा - खासा मेरा तो हिसाब चला गया! 

तासीर  अब  खुद की मैं बिगाड़ने लगा हूं , 
मयखाने में हर  रोज़  जाम  मारने लगा हूं! 

यूं तो अब दुनियादारी भी समझ आने लगी, 
नाम तेरे की आवाज भी आग लगाने लगी ! 

कोरे कागजों को काली स्याही बहाने लगी, 
एक के बाद एक ग़ज़ल, नजम आने लगी ! 

अब आदत "सुशील" की रोज़ सताने लगी, 
मयखाने की बूंदे ही मेरी प्यास बुझाने लगी!  भूख नहीं लगती अब तो स्वाद चला गया, 
अच्छा - खासा मेरा तो हिसाब चला गया! 

तासीर  अब  खुद की मैं बिगड़ने लगा हूं , 
मयखाने में हर  रोज़  जाम  मारने लगा हूं! 

यूं तो अब दुनियादारी भी समझ आने लगी, 
नाम तेरे की आवाज भी आग लगाने लगी !
भूख नहीं लगती अब तो स्वाद चला गया, 
अच्छा - खासा मेरा तो हिसाब चला गया! 

तासीर  अब  खुद की मैं बिगाड़ने लगा हूं , 
मयखाने में हर  रोज़  जाम  मारने लगा हूं! 

यूं तो अब दुनियादारी भी समझ आने लगी, 
नाम तेरे की आवाज भी आग लगाने लगी ! 

कोरे कागजों को काली स्याही बहाने लगी, 
एक के बाद एक ग़ज़ल, नजम आने लगी ! 

अब आदत "सुशील" की रोज़ सताने लगी, 
मयखाने की बूंदे ही मेरी प्यास बुझाने लगी!  भूख नहीं लगती अब तो स्वाद चला गया, 
अच्छा - खासा मेरा तो हिसाब चला गया! 

तासीर  अब  खुद की मैं बिगड़ने लगा हूं , 
मयखाने में हर  रोज़  जाम  मारने लगा हूं! 

यूं तो अब दुनियादारी भी समझ आने लगी, 
नाम तेरे की आवाज भी आग लगाने लगी !

भूख नहीं लगती अब तो स्वाद चला गया, अच्छा - खासा मेरा तो हिसाब चला गया! तासीर अब खुद की मैं बिगड़ने लगा हूं , मयखाने में हर रोज़ जाम मारने लगा हूं! यूं तो अब दुनियादारी भी समझ आने लगी, नाम तेरे की आवाज भी आग लगाने लगी !