किसे मालूम था,ऐसे रुला देगी जिन्दगी, रात होने से पहले, सुला देगी जिन्दगी॥ बिखरी उम्मीदें भटकते राहों से गुजारके, कयामतों के झूले, झूला देगी जिन्दगी॥ बुझा डालेगी चिराग, तमाम ख्वाहिशों के, बदले में तम के राह खुला देगी जिन्दगी॥ इस तरह से खङी होगी, मुंह फेर कर के, जीने मरने का, भेद भुला देगी जिन्दगी॥ अन्दाजा नहीं था मासूम बनाके तमाशा, ऊपर से तमाशबीन बुला देगी जिन्दगी॥ पिंकी सिंवर"मासूम"✍️✍️ जिला श्रीगंगानगर (राजस्थान) किसे मालूम था ऐसे रुला देगी जिंदगी #raindrops