कब तक बैठा रहूं? तेरी इन बंद आँखों के किनारे, तू जो खोल दे इन्हें, तो उनमें कही डूब-सा जाऊं, तेरी जुल्फों के बीच, मैं कहीं गुम सा जाऊं, जो तू मेरी गंगा हो जाएं, मैं तेरा इलाहाबाद हो जाऊं... -अजय चौरसिया #इलाहाबाद