उनके आते ही हवाएँ सनसनाएँ ,फ़स्ले-बहार छाएँ दिल-ए-नादान देखों प्यार की धुन गुनगुनाएँ तवस्सुम मेरे होठों से छलकती ही जाएँ तालिब - ए - दीदार लिए पलकें बिछाएँ तमाम कोशिशों के बाद भी हाल-ए-दिल कह ना पाएँ ।। फस्ले-बहार ----बसंत ऋतु तालिब-ए- दिदार---- दर्शन की आभिलाषा तवस्सुम ---मुस्कान Challenge-154 #collabwithकोराकाग़ज़ 40 शब्दों में अपनी रचना लिखिए :) "हम लिखते रहेंगे" प्रतियोगिता की पोस्ट दस बजे होगी :)