आज तो आँख मिलाना चाहते हो,लेकिन जरा झांक लेना इन आँखोमे ये जो फुला हुवा अंगार है शायद जला देगा अहंकार देखना इन पुतलीयनंको शायद तेरा करम घुमता हुवा दिखेगा,कभी जिसने किसिको बंजर बनाया कभी किसिको नमीसे नेहलाया देखना इस पंखुडियोंको कभी मिटाना चाहती है कभी खुलवाना चाहती है अब ये आँखे ना दिन देखेगी ना रात, बस देखेगी सपनोकी सौगाद अब तुम ही तेय करना तुम्हे मिट जाना है ,इन आँखोमे ,या घुमना है आजाद पल्लवी फडणीस,भोर✍