नवीं कक्षा में पढ़ा था आम फिर बौरा गये - लेखक हजारी प्रसाद द्ववेदी की ज़मी से प्रेरित होकर ये शेर उनको समर्पित जो शौकिया किसी गलत नशे में हैं ) वो जो मेरे आंगन मेंं पेड़ है उसपर फूल तो आता है फल नहीं लगता, है तो ये वही आम का पेड़ ही पर बौरा* गया है। उस पेड़ पर कोयल मां उसके बौराने पर हर बार जैसे कूकती थी, इसबार सूना सूना है उसे कोई सदमा सा या दौरा गया है। बौराना*१.पागल हो जाना/ 2.उन्मत्त होना (जैसे—नशे में बौराना)। ३; आम पर फूल पड़ना भी बौराना कहलाता है।