चल ख़्वाब देखते हैं, भूल कर समय, दिन-रात देखते हैं, छोड़ आज गिनती, मन भर के बारात देखते हैं। मैं तुझे देखूं, तू देख मुझे, बंद आंखों में,खुली पलक में, अपलक,कभी एक झलक में, फिर से मुहब्बत के ख्वाब देखते हैं। लम्हा-लम्हा नई होती हुई ज़िंदगी के लिए ख़्वाब भी नए-नए ज़रूरी होते हैं। ज़िंदगी हर लम्हा यही कह रही है। चल #ख़्वाबदेखतेहैं #collab करें #yqdidi के साथ। #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi