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नज़रें झुकी झुकी थी चेहरे पे नूर था, उनकी सादगी

नज़रें झुकी झुकी थी चेहरे पे नूर  था, 
उनकी सादगी में भी कितना गुरूर था
अब खुद को सम्भालते भी तो कैसे, 
बैचेन थी आंखे और दिल मजबूर था

नज़रें झुकी झुकी थी चेहरे पे नूर था, उनकी सादगी में भी कितना गुरूर था अब खुद को सम्भालते भी तो कैसे, बैचेन थी आंखे और दिल मजबूर था #शायरी

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