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पता नहीं मुझे आखिर कब मेरे इस दुख के. पहाड़ पर

पता  नहीं  मुझे
आखिर  कब  मेरे इस दुख के. पहाड़
पर सुख का  परचम  लहरायेगा
जबकि  इस पहाड़ की  तलहटी मे
बैठा मेरा वज़ूद  चीख चीख कर
यही  आश्वासन दे रहा था
"अच्छे दिन आने वाले  है "

©Parasram Arora
  अच्छे दिन

अच्छे दिन #कविता

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