डूब गए हैं तेरी गहरी आंखों में उलझ गए हैं तेरी जुल्फों के जाल में अब कुछ और सुझता नहीं खोया रहता है दिल तेरे ही ख्याल में तुम बोलो तो लब ग़ुलाब से खिलजाते है देख कर माथे की बिंदिया तेरी मन में कितने अरमान उमड़ आते हैं ,,,,,,,,,,,,,, सुरेन्द्र लोहोट 20/01/2022 ©surender kumar raksha yadav