हम सुत हैं उस धरा के,जहाँ गंगा हमारी माता है, प्रीत-अहिंसा रीत छोड़कर,ना सताना हमें आता है। लहु का कतरा-कतरा दान है,जन अमन के लिए, दे देगें हम जाँ, अपने वतन के लिए।। जो आन रही है मातृभूमि की,वो शान बिखेरता जाएँगें, हम वीर भूमि के नंदन हैं,भारत माँ की सम्मान उकेरता जाएँगें। हमें परवाह नहीं अंगारे की,ये कुर्बानी है भू-रतन के लिए, दे देगें हम जाँ,अपने वतन के लिए।। जो दंभ मिली है वीरों से,उसे नहीं हम लुटने देगें, जो छींट पड़ी है रक्त रंग की,उसे नहीं हम मिटने देगें। वही आब भरी तलवार पड़ी है,शत्रु के पतन के लिए, दे देगें हम जाँ,अपने वतन के लिए, ...अपने वतन के लिए।। _Xn.niku #Xnnojotoदे देगें जाँ,अपने वतन के लिए।