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क्यूं हर बार खुद को समझाना पड़ता है, हालातों से ह


क्यूं हर बार खुद को समझाना पड़ता है,
हालातों से हारकर ख्वाहिशों को दबाना पड़ता है।
खुद को दिलासे के लिए झूठी मुस्कान रखना पड़ता है,
आंसुओं में फिर ग़म बहाने सावन का इंतजार करना पड़ता है।

©Deepanjali Patel (DAMS)
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