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हर रोज लड़ रहा हु मै हालातो से मुझे चैन क्यों नही

हर रोज लड़ रहा हु मै हालातो से
मुझे चैन क्यों नही आती है
अंधोरों से मुझे कोई शिकायत ही नहीं
कमबख्त मुझे नींद क्यों नही आती है

जमाने के बनाए पागल है हम
कोई शालाखे कैद करने क्यों नही आती है
जख्म का मुझे अब कोई खौफ ही नहीं
कमबख्त ये दुनिया मुझे पत्थर क्यों नही मारती है

हर रोज़ तरपते है एक नई दर्द के साथ
कोई दावा दुवा काम क्यों नही आती है
ज़िंदगी से मुझे कोई उम्मीद ही नहीं
कमबख्त मुझे मौत क्यो नहीं आती है
प्रीतम कुमार







.









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©pritam kuamr sad

#Hopeless
हर रोज लड़ रहा हु मै हालातो से
मुझे चैन क्यों नही आती है
अंधोरों से मुझे कोई शिकायत ही नहीं
कमबख्त मुझे नींद क्यों नही आती है

जमाने के बनाए पागल है हम
कोई शालाखे कैद करने क्यों नही आती है
जख्म का मुझे अब कोई खौफ ही नहीं
कमबख्त ये दुनिया मुझे पत्थर क्यों नही मारती है

हर रोज़ तरपते है एक नई दर्द के साथ
कोई दावा दुवा काम क्यों नही आती है
ज़िंदगी से मुझे कोई उम्मीद ही नहीं
कमबख्त मुझे मौत क्यो नहीं आती है
प्रीतम कुमार







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©pritam kuamr sad

#Hopeless
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pritam kuamr

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