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pritamkuamr3244
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pritam kuamr

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pritam kuamr

tu intjar kar💔
meri khamoshi😔
ek din shor jarur machayegi
💔😔😔💔


















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©pritam kuamr

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pritam kuamr

ये माना की तुमसे जुदा हो ना पाए
शहर से तेरे हम अलग हो ना पाए

मै जिंदा हु फिर भी ये तेरा करम है

मगर जीते जी हम दफन भी रहेंगे
तेरे सामने हम तो ओझल रहेंगे

अगर कभी गुजरे मेरे सामने से
बचा के नजर को गुजर जाईयेगा

प्रीतम कुमार












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©pritam kuamr

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pritam kuamr

सभी याद है वो जो कुछ पल को साथ में थे
हर शक्श का बहुत ज्यादा ही कर्जदार हु मै
कीमतें अदा जिस्म कार्ट के करूंगा सब को
क्या करू बहुत गरीब बेब्स लाचार हु मै

प्रीतम कुमार
     






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©pritam kuamr

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pritam kuamr

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©pritam kuamr #Rose
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pritam kuamr

लौटे अपने सहर तो खुद का मकान भी गवा बैठे
सिर छिपाने के लिए बस एक जर जरा दीवार था
सायद मुझे बदुवा लग गई उसे बगावत करने का
पीने के लिए जहर खाने के लिए मेरा ही मास था😭

खुद को खाते तो मर जाते ना खाते तो भी मर जाते
बेबसी तो देखो जिस्म काटने के लिए मेरा ही दांत था
फिर बंद कमरे में खुद को नोच के खाने लगे हम
पेट भर गया तब याद आया यार मैं तो साकाहारी था😭









जुबान खा बैठा दोनो हाथ को भी खा बैठा मै
हाथों में कलम के छाले पर जुबान बहुत लजीज था
एक भुख की तलब में मै खुद को बर्बाद कर गया मै
यार मुझे अभी याद आया है की मै तो एक शायर था😭
                                                    प्रीतम कुमार

©pritam kuamr heart touching 💔

heart touching 💔 #शायरी

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pritam kuamr

हर रोज मेरी इम्तिहान की घड़ी है
मेरे इश्क से ज्यादा उसकी नफरत बारी है
रात गुजार दी हमने नींद के इंतजार में
सुबह देखा तो मौत दरवाजे पे खरी है



अपने ख्वाब किस्तों में गवा रहा हु मै
जिदंगी अब जिल्लत सी लगने लगी है
सीने का दर्द दिमाग तक आ पहुंचा
ये जिदंगी पागलो में तब्दील होने लगी है



दर्द मुझसे वाकीफ है मै दर्द से वाकीफ हु
जिस्म अब दर्द का शौकीन बन गई है
जो मीठा लगता है ओ तो सचाई है
बाकी जो उसके यादें थे नमकीन हो गईं है



जिस चीज को मै जलने से बचा रहा हु
दरसल वहा ओ उसकी तस्वीर पारी है
जो खाक हो रही कई दिनों से कोने में 
गौर से देखो ओ मेरी जज्बात है जो जल रही है

                                   प्रीतम कुमार










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©pritam kuamr poetry
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pritam kuamr

किसी की जूठे वक्त की टुकड़ी पे पलते है हम
हमसे मोहब्बत छोरों तुम्हे नफरत भी नहीं होगा
फटे पुराने ख्वाबों की बोझ लिए बसर करता हु मै
साथ चलना तो छोरों रिश्ता निभाना भी मुस्कील होगा
प्रीतम कुमार










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©pritam kuamr अल्फाज

अल्फाज #शायरी

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pritam kuamr

आज कल मै खुद से ही खफा रहता हु
कुछ अपने छोर गए है उनकी तलाश में रहता हु
एक ही वक्त पे हर रोज चांद को देखते थे हम दोनो
मै आज भी छत पे उसके इंतजार में बैठा रहता हु

                                              प्रीतम कुमार












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©pritam kuamr sad

sad

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pritam kuamr

स्नेह बन के हमारी अटरिया पे आ गई हो
वरना खुद के मकान से भी मुझे रंजीदा होता
मेरी हर नाकामी में पकड़ लेती हो हाथ मेरा
वरना मै तो अपने हालत पे भी शर्मिंदा होता

                                       प्रीतम कुमार













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©pritam kuamr
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pritam kuamr

तुझसे बिछरता तो मै जुदा होता
तुझे पा लेता तो मै ज़िंदा होता

                   प्रीतम कुमार














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©pritam kuamr Alon
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