चाँद रात की गवाही लेकर हमने भी अधूरी सी ख़्वाहिशों की इबादत कर ली, महक जाए ज़िन्दगी ख़ुशियों से भी अपनी थोड़ी सी ख़ता हमने भी कर ली, माना रात अंधेरी बदनसीबी की बहुत है मगर मुकद्दर बदलने की चाँदनी खिलनी बाक़ी है, माना चाँद उम्मीदों का अभी दूर सही अभी इस दिल में बुलंद हौसला बाक़ी है, हार न मानेंगे हम एक जुनन की जिद्द अभी इस दिल में बाक़ी है, टूटा नहीं सिलसिला अभी इबादत करने का उस रब को मनाना बाक़ी है,उस चाँद रात का आना बाक़ी है, ♥️ Challenge-890 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।