एक रात परी माँ का हृदय झकझोर, सपने में आकर करुण स्वर में समझाती है, तुम भी तो एक बेटी हो, बेटियाँ ही बेटों को जन्म देती, बेटियाँ ही सृष्टि रचाती है। माँ मुझे भी जीना है मुझे क्यों भगाती हो, बेटी हूँ तो क्या मेरी बली चढ़ाती हो, मैं भी तो तेरे कलेजे का टुकड़ा हूँ माँ, मुझे दुनिया में लाने से क्यों घबराती हो। बेटी ही माँ, बहन, पत्नी, बहू नर की शान है, हमारी बेटियाँ नारियों की पहचान हैं, बेटी ही जन्म देती है बेटों को जो बनता सुजान है, तुझे नमन सचमुच तू महान है। 🌝प्रतियोगिता-82 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹" बेटी हूँ तो क्या...??"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I