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White हकीकत पहली नज़र का धोखा हैं सब, जो सब तुमक

White हकीकत 

पहली नज़र का धोखा हैं सब,
जो सब तुमको अच्छा लगा,
निगाहें चील की भी क्यों न हो,
वक्त से पहले हकीकत का पता न चला।

ढ़ेर हो जाओगे गर संभले नहीं,
बड़े बड़े फरेबी हैं यहां,
तुम भी यें हुनर सीख आओ,
जो गर बने रहना चाहते इस बाज़ार में भला।

नोच खायेंगे किसी नरभक्षी के जैसे,
तुम अपनी पकड़ को ढील देकर तो देखों,
नाम-ओ-निशान यूं मिटा देंगे,
हैरान ही रहोंगे की कल तक तुम भी थे यहां।

©Ruchi Jha
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