व्यापार दिल क्या करे जो जिंदगी, व्यापार बन गई दौलत के आगे हारकर, लाचार बन गई खुशियाँ की लगती बोली बाजार में खड़ीं, बाजार उनके आने से, गुलज़ार बन गई रोए कि दिल कि उसको ,पूछेगा कौन अब चाहत जो हादशे का ,शिकार बन गई बेखुद वफा की राह पर ,चलता नहीं कोई मतलब की आज दुनिया ,तलबगार बन गई ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #ग़जल