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बेवजह मुझको तेरी गली में आना ना था, तुझ से मिलने क

बेवजह मुझको तेरी गली में आना ना था,
तुझ से मिलने का कोई बहाना भी ना था,
तेरे ख्यालों में मैं इस कद्र खो गया,
बहुत सोचा हो और फिर सो गया,
किस लिए तेरे दर की ओर रूख करूं,
किस लिए तेरे घर की तरफ कदम भी धरू,
जब निगाहों से निगाहें भी ना मिले,
जैसे दिलों में हैं बरसों के फासले,
ना तेरी गली से कोई न्योता था,
इस लिए मैं न‌ई डगर पर चल दिया।

©Harvinder Ahuja #मेरी राहें
बेवजह मुझको तेरी गली में आना ना था,
तुझ से मिलने का कोई बहाना भी ना था,
तेरे ख्यालों में मैं इस कद्र खो गया,
बहुत सोचा हो और फिर सो गया,
किस लिए तेरे दर की ओर रूख करूं,
किस लिए तेरे घर की तरफ कदम भी धरू,
जब निगाहों से निगाहें भी ना मिले,
जैसे दिलों में हैं बरसों के फासले,
ना तेरी गली से कोई न्योता था,
इस लिए मैं न‌ई डगर पर चल दिया।

©Harvinder Ahuja #मेरी राहें