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# वक्त का ये पखेरू रुका है कहां | Hindi शायरी

वक्त का ये पखेरू रुका है कहां 
मैं था पागल  उसे  आवाज देता रहा .
चार पैसे कमाने मैं आया शहर
गांव मेरा मुझे  आवाज देता रहा .

वक्त का ये पखेरू रुका है कहां मैं था पागल उसे आवाज देता रहा . चार पैसे कमाने मैं आया शहर गांव मेरा मुझे आवाज देता रहा . #शायरी

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