आशिक़-ए-आतिश से महबूबी अदा मत पूछिए आँखों में डूबे हुए दिल की ख़ता मत पूछिए है बहुत लम्बी कहानी बारहाँ मत पूछिए इस मुसलसल दास्ताँ की इफ्तिदा मत पूछिए आशनाई है और महफ़िल शाम की चाय! एक और सही तेरे नाम की लोग पूछते हैं मसअला क्या है प्याली पे दिल का मामला क्या है उनको कौन समझाए ये रंग तेरा-मेरा उन्हें कौन बताए ये सिलसिला क्या है सुर्खियाँ शाम की यों घुली सी रहें चाय में यारियाँ सुरखुरु हो रहें किसको है दम ये निकलने का ग़म यार की यारियाँ बस मेरी हो रहें #ofcoursetoyou#yqtea#yqdosti#yqlife#yqlove#yqmotivation