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#ग़ज़लغزل: १५७ ------------------------- न मिले ब

#ग़ज़लغزل: १५७
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न मिले बोसा अगर तो, ये अधर तन्हा है
तू नहीं है तो जवानी का सफ़र तन्हा है//१

खेत सूने हैं, मकाँ सूने, डगर तन्हा है 
तन्हा था पहले सफ़र, अब तो हज़र तन्हा है //२

किसको बतलाए कहानी वो शबे फ़ुरक़त की 
बर्क़ से अपनी जुदा होके शरर तन्हा है //३

तेरे जाने से गली कूचे हैं सूने सूने
ज्यूँ बसंती के बिना रामनगर तन्हा है //४

कौन पूजेगा उसे रोज़, चढ़ावा देगा 
तेरे बिन सह्न में पीपल का शजर तन्हा है //५

तेरे कपड़े भी हैं खूँटी पे टंगे तन्हा से
और चप्पल भी तेरी, जाने जिगर, तन्हा है //६

कुछ भी दिखता नहीं वीरान मनाज़िर के सिवा
तू नहीं है तो नज़ारों की नज़र तन्हा है //७

ऐ मेरी जाने तमन्ना ऐ मेरी जाने ग़ज़ल 
इक तेरे जाने से ये पूरा ही घर तन्हा है //८

'राज़' इक वो नहीं तन्हा जो अकेले में जिए
जिसको भी लगता है तन्हाई से डर, तन्हा है //९

~राज़ नवादवी© راز نوادوی
🆁🅰🆉 🅽🅰🆆🅰🅳🆆🅸
#ग़ज़लغزل: १५७
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न मिले बोसा अगर तो, ये अधर तन्हा है
तू नहीं है तो जवानी का सफ़र तन्हा है//१

खेत सूने हैं, मकाँ सूने, डगर तन्हा है 
तन्हा था पहले सफ़र, अब तो हज़र तन्हा है //२

किसको बतलाए कहानी वो शबे फ़ुरक़त की 
बर्क़ से अपनी जुदा होके शरर तन्हा है //३

तेरे जाने से गली कूचे हैं सूने सूने
ज्यूँ बसंती के बिना रामनगर तन्हा है //४

कौन पूजेगा उसे रोज़, चढ़ावा देगा 
तेरे बिन सह्न में पीपल का शजर तन्हा है //५

तेरे कपड़े भी हैं खूँटी पे टंगे तन्हा से
और चप्पल भी तेरी, जाने जिगर, तन्हा है //६

कुछ भी दिखता नहीं वीरान मनाज़िर के सिवा
तू नहीं है तो नज़ारों की नज़र तन्हा है //७

ऐ मेरी जाने तमन्ना ऐ मेरी जाने ग़ज़ल 
इक तेरे जाने से ये पूरा ही घर तन्हा है //८

'राज़' इक वो नहीं तन्हा जो अकेले में जिए
जिसको भी लगता है तन्हाई से डर, तन्हा है //९

~राज़ नवादवी© راز نوادوی
🆁🅰🆉 🅽🅰🆆🅰🅳🆆🅸
raznawadwi7818

Raz Nawadwi

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