अधूरे ख़्वाब⟩अधूरे गीत =============== जिस जिस को भी अपना समझा,सबकी दर से होते निकले। बारी बारी परखा सबको,सारे सिक्के खोटे निकले। अपने हिस्से सिर्फ़ उदासी, आवश्यकताएंँ जां की प्यासी। आंँखें हैं अब पथराई सी, अपेक्षाएंँ न रही जरा सी। हम मतलब की इस दुनिया में, रोते आए रोते निकले। बारी बारी परखा सबको,सारे सिक्के खोटे निकले।। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #गीत_मन #अधूरेख़्वाब #अधूरे_गीत #adhurikahani #जीवन #संघर्ष #yqdidi