कही हवा का झोंका तो नही तुम, आग बढ़ती ही जा रही हैं! न जलाओ ऐसे , यह आशिकी तबाह कर रही है! आ भी जाओ, रुखसत करो इस तबहायी को, अब कुछ न तेरे सिवा खोने कों! ©Roshan Rdm कही हवा का झोंका तो नही तुम, आग बढ़ती ही जा रही हैं! न जलाओ ऐसे , यह आशिकी तबाह कर रही है! आ भी जाओ, रुखसत करो इस तबहायी को, अब कुछ न तेरे सिवा खोने कों!