कोई झूठ सदियों तक दोहराया जाय तो वो झूठ सत्य का चोगा पहन कर हमारी मृत प्राय संग्रहित परम्पराओं का हिस्सा बन जाता हैँ और तभी तो आज भी यही माना जाता. रहा है क़ि अगर मरघट से आधी रात में नगाडो कीआवाज़ सुनाई पडे तो समझ लेना चाहिए क़ि मरघट में दाह संस्कार के बाद अस्तित्व में विलुप्त शरीरो की रूहे. अपने जिस्मो से फिर से जुड़ने के प्रयास कर रही है और ज़ब रूहों के प्रयास विफल हो जाते है तो उन्हे नगाड़े बजा.कर जगाया जाता है ताकि उनके मौन कों मुखरित किया जा सके और उन्हे जगा कर .फिर से अपने. जिस्मो से जुड़ा जाए ©Parasram Arora झूठ से निर्मित परम्पराये