Alone Written by :- शुभम जैन "पराग" उदयपुर (राज.) 7688962220 💫मिलन💫 =========== आज वो मुझसे फिर मिला जिससे मैं कभी पहले मिला था,, उससे मुझे ना कोई शिकायत ना उसे मुझसे कोई गिला था ,, वो तो था सिप-ए-समंदर मैं सिर्फ माटी का टीला था,, वो जा पहुंचा रत्नों के ढेर में मैं फिर लहरों में मिला था,, रत्नों के ढेर से निकलकर वो बेशकीमती हार में जड़ा था,, मैं बन कर मिट्टी समुद्र के पास पड़ा था,, लहरें आती रहीं लहरें जाती रहीं फिर आया एक कलाकार वहाँ मैं था मिट्टी के रूप में जहाँ, आकर उसने मुझे छुआ मुझे कुछ डर महसूस हुआ,, अपने कोमल हाथों से उसने मुझसे एक मूर्ति को गढ़ा,, मेरे गले में फिर उसने एक बेशकीमती हार जड़ा,, हार में वही मोती जड़ा था कुछ समय पहले जो उस शिप में पढ़ा था,, रिश्ता इतना गहरा था हमारा कि आज वो मुझसे फिर मिला जिससे मैं कभी पहले मिला था जिससे मैं कभी पहले मिला था..... 💍💫💍💫💍💫💍💫💍💫💍 #my #poem #milan #shubhamjainparag