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आज उसकी आँखों से, पश्चयताप के आँसू! दरिया के समान

आज उसकी आँखों से,
पश्चयताप के आँसू!
दरिया के समान
बह रहे थे!
व्यथित हृदय की
वेदना,
लहरों सा 
उमड़ता हुआ,
झील सी गहरी हो
पुनः आँखो को 
भर रहे थे!
किन्तु भूल पर मन
भविष्य में आश्वस्त,,
और वातावरण
सरोवर सा
शांत था!......            ©श्री.....✍🏻 #hkkhindipoetry #tmkosh #हिन्दी_काव्य_कोश  #yqdidi 
© free background #YourQuoteAndMine
Collaborating with हिन्दी काव्य कोश #श्रीsnsa
आज उसकी आँखों से,
पश्चयताप के आँसू!
दरिया के समान
बह रहे थे!
व्यथित हृदय की
वेदना,
लहरों सा 
उमड़ता हुआ,
झील सी गहरी हो
पुनः आँखो को 
भर रहे थे!
किन्तु भूल पर मन
भविष्य में आश्वस्त,,
और वातावरण
सरोवर सा
शांत था!......            ©श्री.....✍🏻 #hkkhindipoetry #tmkosh #हिन्दी_काव्य_कोश  #yqdidi 
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