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बयाबाँ वो दिल का शहर कर गया मुझे सूखता इक शजर कर ग

बयाबाँ वो दिल का शहर कर गया
मुझे सूखता इक शजर कर गया

अभी तक रहा जो मिरे ख़्वाब में 
वो इक दर्द मेरे जिगर कर गया

मिला तो नहीं वो मगर देख कर 
जहाँ से मुझे बे-ख़बर कर गया

न टूटी मुहब्बत शब-ओ-रोज़ की   
दिया रात पे यूँ असर कर गया।।

🌸🌸🌸

©एक अजनबी #poem #Hindi #Nojoto #Poetry 

बयाबाँ : - मरुस्थल, बंजर
शजर :-  जिसके पास जाने में बुराई हो
शब-ओ-रोज़ : - निरंतर, लगातार, रातदिन

#poem #Hindi Nojoto Poetry बयाबाँ : - मरुस्थल, बंजर शजर :- जिसके पास जाने में बुराई हो शब-ओ-रोज़ : - निरंतर, लगातार, रातदिन

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