दिसंबर, चाय और ठंड सच कहूं तो ,चाय के साथ मेरा कभी गहरा रिश्ता न बन पाया जब तक "मैं" अपनों के साथ था तब तक मुझे कोई दूसरा न भाया । अब सच कहूं तो, अभी अपनों से दूर हूं या दिसंबर की ठंड से मजबूर हूं इसलिए चाय अपना रंग दिखाने लगा है हर-सुबह मुझे अपने पास बुलाने लगा है । सच कहूं तो ,चाय के साथ मेरा कभी गहरा रिश्ता न बन पाया जब तक "मैं" अपनों के साथ था तब तक मुझे कोई दूसरा न भाया । अब सच कहूं तो, अभी अपनों से दूर हूं या दिसंबर की ठंड से मजबूर हूं इसलिए चाय अपना रंग दिखाने लगा है