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कितना अजीब होता है, ये दिल समझाना।

कितना अजीब होता है,
            ये दिल समझाना। 
        प्यार का दीप जला कर,
              उसे बुझाना। 

            दो तरह की सोच में ,
           फँसता चला जाता है। 
         जो दिल दे बैठी उसे छोड़,
           दूसरी को चाहता है। 

    आशाएं मेरी दो तरह की हो गयी ह्,
    किसी न किसी के ख्यालो में तो खो गयी है। 
    तुम्हारा नही तो ,उसका साथ तो पाना है,
    किसी एक को तो अपना बनाना है। 

ombir phogat #poem 4
कितना अजीब होता है,
            ये दिल समझाना। 
        प्यार का दीप जला कर,
              उसे बुझाना। 

            दो तरह की सोच में ,
           फँसता चला जाता है। 
         जो दिल दे बैठी उसे छोड़,
           दूसरी को चाहता है। 

    आशाएं मेरी दो तरह की हो गयी ह्,
    किसी न किसी के ख्यालो में तो खो गयी है। 
    तुम्हारा नही तो ,उसका साथ तो पाना है,
    किसी एक को तो अपना बनाना है। 

ombir phogat #poem 4
op5824430546309

Ombir Phogat

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