पूछेगा तुमको,तभी तक जमाना, जहाँ तक तुम्हारी, जरुरत रहेगी। दीपो की माला सजेगी तभी तक, मन्दिर मे जब तक ये मूरत रहेगी। सिकन्दर भी आऐ,गये इस जहां से, फकीरो का परचम, अभी तक गगन में। मिटी रेत पर, लिखी हर इबारत लिखो पत्थरो पर, इबारत रहेगी। सज़दा करेंगे, सभी तुमको आकर, जहाँ तक, तुम्हारी ये सीरत रहेगी। होली भी तेरी, दीवाली भी तेरी, मनेगी, तभी जब ये कीरत रहेगी। मनीष तिवारी ©manish tiwari #humanrigjhts