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जब तुम्हारी खुशियाँ, गृहस्थी के दायरे से, बाहर चली

जब तुम्हारी खुशियाँ,
गृहस्थी के दायरे से,
बाहर चली जाती हैं,
मेरी उपस्थिती तुम्हें,
घर की सीमित मर्यादाएँ,
याद दिला जाती हैं। जब तुम्हारी खुशियाँ,
गृहस्थी के दायरे से,
बाहर चली जाती हैं,
मेरी उपस्थिती तुम्हें,
घर की सीमित मर्यादाएँ ,
याद दिला जाती हैं।
#yqdidi#woman#wife#grihasthi#hindi#quotes
जब तुम्हारी खुशियाँ,
गृहस्थी के दायरे से,
बाहर चली जाती हैं,
मेरी उपस्थिती तुम्हें,
घर की सीमित मर्यादाएँ,
याद दिला जाती हैं। जब तुम्हारी खुशियाँ,
गृहस्थी के दायरे से,
बाहर चली जाती हैं,
मेरी उपस्थिती तुम्हें,
घर की सीमित मर्यादाएँ ,
याद दिला जाती हैं।
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