मैं लता, तुम वृक्ष! मैं तुझमें लिपट जाऊँ, तुम मेरा सहारा बन जाओ प्रियतम, मैं धरती तुम, सूरज मेरा ह्रदय बन जाओ प्रियतम, तेरी सांसों से मैं जिंदा रहूँ, मेरी आखों के दरिया का तुम किनारा बन जाओ प्रियतम, मैं खुशबू हूँ,तुम चंदन मैं बूंद स्वाति नक्षत्र की, तुम सीप हो सागर के करके अलिंगन लेकर चुंबन मैं तुम पर झर -झर गिर जाऊँ प्रियतम, निशा निवेदन करती है तुम मोती बन जाओ लेकर फेरे गगन के, तुम दूल्हा, मैं दुल्हन बन जाऊँ प्रियतम हमारे जीवन का कारवां ,संग - संग चले, आओ चातक पक्षी ,बन जायें प्रियतम ।। ©chanda Yadav #wordsofchanda#nojotohindipoetry#naturelove#goodnightpoetry