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भाग..5.. शीर्षक..राघव और सुजाता के चर्चे हर जगह ह

भाग..5.. शीर्षक..राघव और सुजाता के चर्चे हर जगह
 हो रहे थे
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राघव और सुजाता एक दूसरे को बहुत पसंद करते थे। 
लेकिन  सुजाता  को   उसकी मां अच्छा संस्कार दी थी 
और  अपने  धर्म और समाज के संस्कृति के बारे में भी 
बहुत  कुछ  बताई थी । शर्मा जी के आम के बागान में 
राघव  और सुजाता के बीच जब नोकझोंक हो रहा था, 
उस वक्त गांव का  एक लड़का  आम  के  पेड़ के पीछे 
छुप कर  सब कुछ  सुन रहा था । सुनकर वह चुपके से 
सुजाता  की  मां को आकर  दो बात जोड़कर और तेल 
लगा कर शिकायत कर दिया।सुनने के बाद सुजाता की 
मां घर  से खजूर की झाड़ू  लेकर घर  से निकल ही रही
थी कि सुजाता दरवाजे के पास पहुंची... सुजाता की मां
अपने गुस्से को काबू में नहीं र ख सकी और सुजाता को
आठ-दस झाड़ू दे मारी। फिर गुस्से से  सुजाता के सर के
बाल को पकड़ी और खींचते   हुए घर के अंदर लेकर आ
गई।बाहर  अड़ोस पड़ोस के लोग इकट्ठे हो गए और एक
दुसरे से कानाफूसी करने लगे।एक ने कहा बेटी को बहुत 
पढ़ाने  का शौक है  इसे शादी  कर  अपना  घर भेज देना 
चाहिए । दस  मूंह दस बातें  चरितार्थ हो रही थी । घर के 
अंदर आत ही सुजाता की मां जोर-जोर से रोने लगी......
सुजाता मां से बोली.....मां मैंने क्या किया है..... जो मुझे 
मारी  भी  और  खुद  भी रो रही है । मेरे बारे में कोई कुछ 
उल्टा पुल्टा बोला है क्या मुझे बताओ....!!मां बोली...... 
तुम कभी पीपल के पेड़ के नीचे..कभी आम के बागान में 
जाकर राघव से क्यों मिलती हो?गांव के सभी लोग तुम्हारे 
बारे में कानाफूसी करते रहते हैं! तुम्हारा शिकायत मैं नहीं 
सुन सकती ! मुझे अपनी बेटी का शिकायत गांव के लोगों 
से सुनना नहीं पड़े। यह मुझे गवारा नहीं।
""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
आगे भाग...6...जरूर पढ़ें...प्रमोद मालाकार की कलम से
24.07.2021....94....
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©pramod malakar #Unframedराघव और सुजाता के चर्चे...94...

#OneSeason
भाग..5.. शीर्षक..राघव और सुजाता के चर्चे हर जगह
 हो रहे थे
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राघव और सुजाता एक दूसरे को बहुत पसंद करते थे। 
लेकिन  सुजाता  को   उसकी मां अच्छा संस्कार दी थी 
और  अपने  धर्म और समाज के संस्कृति के बारे में भी 
बहुत  कुछ  बताई थी । शर्मा जी के आम के बागान में 
राघव  और सुजाता के बीच जब नोकझोंक हो रहा था, 
उस वक्त गांव का  एक लड़का  आम  के  पेड़ के पीछे 
छुप कर  सब कुछ  सुन रहा था । सुनकर वह चुपके से 
सुजाता  की  मां को आकर  दो बात जोड़कर और तेल 
लगा कर शिकायत कर दिया।सुनने के बाद सुजाता की 
मां घर  से खजूर की झाड़ू  लेकर घर  से निकल ही रही
थी कि सुजाता दरवाजे के पास पहुंची... सुजाता की मां
अपने गुस्से को काबू में नहीं र ख सकी और सुजाता को
आठ-दस झाड़ू दे मारी। फिर गुस्से से  सुजाता के सर के
बाल को पकड़ी और खींचते   हुए घर के अंदर लेकर आ
गई।बाहर  अड़ोस पड़ोस के लोग इकट्ठे हो गए और एक
दुसरे से कानाफूसी करने लगे।एक ने कहा बेटी को बहुत 
पढ़ाने  का शौक है  इसे शादी  कर  अपना  घर भेज देना 
चाहिए । दस  मूंह दस बातें  चरितार्थ हो रही थी । घर के 
अंदर आत ही सुजाता की मां जोर-जोर से रोने लगी......
सुजाता मां से बोली.....मां मैंने क्या किया है..... जो मुझे 
मारी  भी  और  खुद  भी रो रही है । मेरे बारे में कोई कुछ 
उल्टा पुल्टा बोला है क्या मुझे बताओ....!!मां बोली...... 
तुम कभी पीपल के पेड़ के नीचे..कभी आम के बागान में 
जाकर राघव से क्यों मिलती हो?गांव के सभी लोग तुम्हारे 
बारे में कानाफूसी करते रहते हैं! तुम्हारा शिकायत मैं नहीं 
सुन सकती ! मुझे अपनी बेटी का शिकायत गांव के लोगों 
से सुनना नहीं पड़े। यह मुझे गवारा नहीं।
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आगे भाग...6...जरूर पढ़ें...प्रमोद मालाकार की कलम से
24.07.2021....94....
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