प्रिय हिन्दी ✍️✍️ प्रिय हिन्दी, मैं तुझमें समां जाऊं स्थायी भाव की तरह, जगा लूं भाव सारे ह्रदय में भाव , विभाव, अनुभाव, संचारी भाव में रम जाऊं.. प्रिय हिन्दी तूं मुझे अपने मस्तक पर धारण कर लें.. चन्द्रबिन्दु की तरह, या मुझे अपने चरणों में बिठा ले हलंत की तरह.. मैं अपने ह्रदय के सारे भाव लिख पाऊं प्रिय हिन्दी तेरे विराट शब्दकोश में मुझे समाहित कर लें.. संजने - संवरने में कोई रुचि नहीं हमारी पर तेरे सभी अलंकारों के आभुषणों से मुझे सुशोभित कर दें.. आनंद की अनुभूति हो मुझे, तेरे सभी रसों में खो जाने की मुझे अनुमति दें दें.. प्रिय हिन्दी मुझे रसों का राजा श्रृंगार रस दें दें... यदि वतन के लिए लिखूं तो सभी उसे पढ़कर वतन से मोहब्बत कर लें. और मेरे लिए लिखूं तो मुझसे इश्क कर ले , ऐसा एक शब्दालय दे दें.. प्रिय हिन्दी मुझे वरदान दें दें, मैं तेरे छंद,दोहा , चौपाई कि खनक में खो जाऊं कहीं....✍️✍️ ©Sanjana Hada #Red