Bharat Ratna कोरे कागज़ की तरह सा हैँ दिल मेरा..... जिस पर कोई इबारत नहीं हैँ हाला कि लिखावट के लिए सारा सामान मौजूद हैँ...... पर लिखने से पहले कुछ मजमून भी तो हो जज्बातो का थोड़ा स्पंदन भी तो हो ह्रदय मे कोई प्रेम की तरंग भी तो उठती हो.... और नहीं तो अपनी जान किसी और ंके नाम करने का जज्बा भी तो हो सुना हैँ कुछ रिश्ते खाली स्पेस की तरह शून्यमय भी होतेहै और उनके लिए कागज़ कलम की जरूरत नहीं होती. लेकिन वे अपनी छाप शून्य मे भी छोड जाते हैँ कदाचित यही इनकी . खूबसूरती भी हैँ कोरे कागज़ की तरह दिल मेरा.......