हे ! गोविंद क्या.., तुम आओगे, क्या.., आकर तुम भी, मेरे जैसे, छः गज़ की, पौराणिक मर्यादा मे लिपट, घर-आँगन, कोल्हू बन पाओगे, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #साड़ी_मे_गोविंद हे ! गोविंद क्या.., तुम आओगे, क्या..,