जिक्र होता है जब मेरी तन्हाई की उमड़ती है भीड़ लाखों में दुआएं सुकून की मांगते हैं रुबरु होता हूं जब फिर मुझे वो नहीं पहचानते हैं शायद यही सच्चाई है ज़माने की पत्थर दिल वाले भी यहां दिलदार कहलाते हैं । ©Tafizul Sambalpuri #शायर दोस्ती शायरी