कुछ ऐसा करे की वो खफा हो जाए क्यू न इस दफा हम बेवफा हो जाए हम भी खाए इश्क की झूठी कसमें हम भी निभाते वक्त दफा हो जाए उसे भी न आए रातों को नींद उसे भी इश्क एकतरफा हो जाए जिस वक्त वो मुझे बनाले अपना सबकुछ उसी वक्त मेरा इश्क से इस्तीफा हो जाए एक दफा फिर वो मुझसे रिश्ता तोड़ ले मेरी शायरी में गम का इजाफा हो जाए ©Neophyte इस्तीफा!