हमने भी देखें हैं बहारों के दिन हम पर भी था जवानी का खुमार हमारा भी धड़का था जोर से दिल हमने भी किया था इश्क- इजहार भली सी एक सांवली सी सूरत से हमें भी था कभी बे -इंतहा प्यार हम भी खुली आंख खाब देखते थे हमें भी होता था मोहब्बत पे एतबार किसी की एक नज़र पाने को हमारा दिल भी होता था बे-करार किसी को अपनी बाहों में भर कर हमें भी मिलता था सुकूं-ओ-करार हमने भी खायी थी वफा की कसमें हमें भी था अपने वादों से सरोकार फिर कुछ दरारें पड़ी दिलों में'बेखबर' ढ़ह गया मेरी मोहब्बत का घर-बार ©_बेखबर love poetry in hindi urdu poetry deep poetry in urdu poetry quotes sad poetry