"छुट्टियाँ और हम" मुझे न पता था कि सख्त लड़का भी पिघल जाएगा। और तुझको देख कर यू मिर्जा गालिब की गज़ल गायेगा। ख़ैर अब मोहोब्बत हो गयी है ये जताना भी पड़ेगा। अब होगा इजहार का फसाना और आपको ये बताना भी पड़ेगा। लेकिन उससे पहले ये छुट्टियों का पड़ा था कहर। और क्या हुआ जुल्म बख़ुदा आज से पहले ये छुट्टियां न लगी ज़हर। विवेक सिंह राजावत। तुम्हारे लिए।