मैं जगमगाना चाहता हूं ############## शानोशौकत की दुनियां , मैं बसाना चाहता हूं। पत्थर बना दिया है , मुझे वक्त के सन्नाटों ने, जिंदगी जैसी भी हो , और खुबसूरत बनाना चाहता हूं। आहुति दे रहा हूं मैं , आज भी अपने सपनों का, अमावस्या की रात भी , मैं जगमगाना चाहता हूं। कुचल कर बढ़ते उम्र को , सपनों को बाहों में समेटे, जुगनू के प्रकाश से मैं ,अंधेरा दूर भगाना चाहता हूं। संघर्ष भरे पल में भी , परम्पराओं के गोद में बैठे, अपनों के संग , समय गुजारना चाहता हूं। कसौटी पर उतर कर , देश के उत्थान के लिए, रास्तों से कंकड़ पत्थर को , हटाना चाहता हूं। अपने हो या पराए , प्यार जताना चाहता हूं। शानोशौकत की दुनियां मैं बसाना चाहता हूं।। ######################## प्रमोद मालाकार कि पेशकश....12.12.23 ©pramod malakar #मैं जगमगाना चाहता हूं।